चम्बल: बागी, डाकू, खून, लाशें, या फिर बीहड़...! क्या यही है अभिसप्त चम्बल घाटी का परिचय ! जी नहीं, यह तो सिर्फ़ बदनाम करने की साजिश है! दरअसल चम्बल में बीहड़ है तो बागी होंगे ही ! लेकिन डाकू...? यह समझ से परे है ! अपने हक के लिए बागी होना तो समझ में आता है पर बेबजह डाकू बनना यह साजिश नहीं तो और क्या है ! क्या चम्बल की पहचान यही डाकू है ! यहाँ हम चम्बल का दूसरा रूप भी बताने की कोशिश करेंगे जैसे चम्बल घाटी में आज भी कई तपस्वी साधना में लीन है ! एशिया का मात्र लक्ष्मण - उर्मिला मन्दिर इसी चम्बल घाटी में हैं ! देश में सबसे ज्यादा सरसों पैदा करने का गौरव इसी चम्बल घाटी को है ! यहाँ का शहद भी हिंदुस्तान की जुवां का स्वाद बन चुका है ! और चंदेरी साड़ी की चमक तो विश्व विख्यात है! और न जाने क्या-क्या.....? इसके अलावा आजादी के लिए संघर्ष कौन भूल सकता है! शिक्षा की तो बात ही कुछ और है , यह हमारे बुजुर्गो से लेकर ने पीड़ी ने बरक़रार रखा है !
Friday, June 6, 2008
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1 comment:
chambal ka nayeroop ko apne bade hi saleeke se pesh kiya eske liye dhanyavad
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